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संगति का असर

संगति का असर एक बार एक राजा शिकार के उद्देश्य से अपने काफिले के साथ किसी जंगल से गुजर रहा था. दूर-दूर तक शिकार नजर नहीं आ रहा था, वे धीरे धीरे घनघोर जंगल में प्रवेश करते गए. अभी कुछ ही दूर गए थे की उन्हें कुछ डाकुओं के छिपने की जगह दिखाई दी. जैसे ही वे उसके पास पहुचें कि पास के पेड़ पर बैठा तोता बोल पड़ा – पकड़ो पकड़ो एक राजा आ रहा है इसके पास बहुत सारा सामान है लूटो लूटो जल्दी आओ जल्दी आओ। तोते की आवाज सुनकर सभी डाकू राजा की और दौड़ पड़े. डाकुओं को अपनी और आते देख कर राजा और उसके सैनिक दौड़ कर भाग खड़े हुए. भागते-भागते कोसो दूर निकल गए. सामने एक बड़ा सा पेड़ दिखाई दिया. कुछ देर सुस्ताने के लिए उस पेड़ के पास चले गए, जैसे ही पेड़ के पास पहुचे कि उस पेड़ पर बैठा तोता बोल पड़ा – आओ राजन हमारे साधु महात्मा की कुटी में आपका स्वागत है. अन्दर आइये पानी पीजिये और विश्राम कर लीजिये। तोते की इस बात को सुनकर राजा हैरत में पड़ गया और सोचने लगा की एक ही जाति के दो प्राणियों का व्यवहार इतना अलग-अलग कैसे हो सकता है. राजा को कुछ समझ नहीं आ रहा था. वह तोते की बात मानकर अन्दर साधु की कुटिया की ओर चला ग...

प्यार की परिभाषा

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प्यार की परिभाषा एक लड़की की शादी उसकी मर्जी के खिलाफ एक सीधे-साधे लड़के से की जाती है जिसके घर मे एक मां के अलावा और कोई नहीं था। दहेज मे लड़के को बहुत सारे उपहार और पैसे मिले होते हैं,लेकिन लड़की किसी और लड़के से बेहद प्यार करती थी। शादी की रात के वक्त लड़का दूध लेके आता है तो दुल्हन सवाल पूछती है अपने पति से...एक पत्नी की मर्जी के बिना पति उसको हाथ लगाये तो उसे बलात्कार कहते है या हक? पति - आपको इतनी लम्बी और गहरी बात जानने की कोई जरूरत नहीं है..। बस दूध लाया हूँ पी लिजीयेगा.. . हम सिर्फ आपको शुभरात्रि कहने आये थे ,कहके कमरे से निकल जाता है। लड़की मन मारकर रह जाती है क्योंकि लड़की चाहती थी की झगड़ा हो ताकी मैं इस गंवार से पीछा छुटा सकूँ ।  दुल्हन घर का कोई भी काम नहीं करती। बस दिनभर ऑनलाइन रहती और न जाने किस किस से बातें करती। उधर लड़के की माँ बिना शिकायत के दिन भर चुल्हा चौका से लेकर घर का सारा काम करती मगर हर पल अपने होंठों पर मुस्कुराहट लेके फिरती । लड़का एक कम्पनी मे छोटा सा मुलाजिम है और बेहद ही मेहनती और ईमानदार। महीनाभर बित जान के बाद भी पति ने पत्नी को अब तक छुआ तक नहीं ...

महात्मा और धोबी

महात्मा और धोबी एक नदी तट पर स्थित बड़ी सी शिला पर एक महात्मा बैठे हुए थे। वहाँ एक धोबी आता है किनारे पर वही मात्र शिला थी जहां वह रोज कपड़े धोता था। उसने शिला पर महात्मा जी को बैठे देखा तो सोचा- अभी उठ जाएंगे, थोड़ा इन्तजार कर लेता हूँ अपना काम बाद में कर लूंगा। एक घंटा हुआ, दो घंटे हुए फिर भी महात्मा उठे नहीं ! अतः धोबी नें हाथ जोड़कर विनय पूर्वक निवेदन किया कि महात्मन् यह मेरे कपड़े धोने का स्थान है आप कहीं अन्यत्र बिराजें तो मै अपना कार्य निपटा लूं। महात्मा जी वहाँ से उठकर थोड़ी दूर जाकर बैठ गए। धोबी नें कपड़े धोने शुरू किए, पछाड़ पछाड़ कर कपड़े धोने की क्रिया में कुछ छींटे उछल कर महात्मा जी पर गिरने लगे। महात्मा जी को क्रोध आया, वे धोबी को गालियाँ देने लगे। उससे भी शान्ति न मिली तो पास रखा धोबी का डंडा उठाकर उसे ही मारने लगे। सांप उपर से कोमल मुलायम दिखता है किन्तु पूंछ दबने पर ही असलियत की पहचान होती है। महात्मा को क्रोधित देख धोबी ने सोचा अवश्य ही मुझ से कोई अपराध हुआ है। अतः वह हाथ जोड़ कर महात्मा से माफी मांगने लगा। महात्मा ने कहा – दुष्ट तुझ में शिष्टाचार तो है ही नहीं, देखता नहीं तूं ग...

बेटा

बेटा नवविवाहिता पत्नी बार-बार अपनी सास पर आरोप लगाए जा रही थी और उसका पति बार-बार उसको अपनी हद में रहकर बोलने की बात कह रहा था। पत्नी थी कि चुप होने का नाम ही नही ले रही थी। जितनी बार पति उसको अपनी मां के विरुद्ध बोलने से मना कर रहा था, उतनी ही बार वह और भी तेजी से चीख-चीखकर कह रही थी-मैंने अंगूठी टेबल पर ही रखी थी। जब तुम्हारे और मेरे अलावा कोई और इस कमरे में आया ही नहीं तो अंगूठी आखिर जायेगी कहां? हो ना हो मां जी ने ही उठाई है।" अब बात पति की बर्दाश्त के बाहर हो गई तो उसने पत्नी के गाल पर एक तमाचा दे मारा। पत्नी का सिर झनझना उठा। आंखों से आंसू झरझराकर बह उठे। अभी तीन महीने पहले ही तो दोनों की शादी हुई थी । दोनों में प्यार भी बहुत था मगर आज मां को लेकर पति ने उस पर हाथ उठा दिया था। पत्नी से तमाचा सहन नही हुआ, वह अपने अपमान से तिलमिला उठी। पति से बोली- "मेरा इस घर में अगर इतना ही सम्मान है कि सच बोलने पर तमाचा खाना है और तुम्हारी मां तुम्हारे लिए इतनी ही अहमियत रखती हैं तो मैं घर छोड़कर जा रही हूं, तुम अपनी मां के साथ ही खुश रहो।" पति ने तमाचा मारने के बाद पछतावा महसूस क...

सेहत का रहस्य

सेहत का रहस्य   बहुत समय पहले की बात है , किसी गाँव में शंकर नाम का एक वृद्ध व्यक्ति रहता था। उसकी उम्र अस्सी साल से भी ऊपर थी पर वो चालीस साल के व्यक्ति से भी स्वस्थ लगता था। लोग बार बार उससे उसकी सेहत का रहस्य जानना चाहते पर वो कभी कुछ नहीं बोलता था । एक दिन राजा को भी उसके बारे में पता चला और वो भी उसकी सेहत का रहस्य जाने के लिए उत्सुक हो गए। राजा ने अपने गुप्तचरों से शंकर पर नज़र रखने को कहा। गुप्तचर भेष बदल कर उस पर नज़र रखने लगे। अगले दिन उन्होंने देखा की शंकर भोर में उठ कर कहीं जा रहा है , वे भी उसके पीछे लग गए। शंकर तेजी से चलता चला जा रहा था , मीलों चलने के बाद वो एक पहाड़ी पर चढ़ने लगा और अचानक ही गुप्तचरों की नज़रों से गायब हो गया। गुप्तचर वहीँ रुक उसका इंतज़ार करने लगे। कुछ देर बाद वो लौटा , उसने मुट्ठी में कुछ छोटे-छोटे फल पकड़ रखे थे और उन्हें खाता हुआ चला जा रहा था। गुप्तचरों ने अंदाज़ा लगाया कि हो न हो , शंकर इन्ही रहस्यमयी फलों को खाकर इतना स्वस्थ है। अगले दिन दरबार में उन्होंने राजा को सारा किस्सा कह सुनाया। राजा ने उस पहाड़ी पर जाकर उन फलों का पता लगाने का आदेश दिया , पर ...

बुजुर्गो का अनुभव

 बुजुर्गो का अनुभव *घर के बड़े-बूढ़ों का अनुभव हमेशा हमारे काम आता है, इसीलिए वृद्ध लोगों का सम्मान करें* *एक प्रचलित लोक कथा के अनुसार किसी राज्य में एक जवान व्यक्ति राजा बना। उसने मंत्रियों को आदेश दे दिया कि बूढ़े लोग हमारे किसी काम के नहीं हैं। ये हमेशा बीमार रहते हैं, कोई काम नहीं करते, इनकी वजह से राज्य का पैसा बर्बाद होता है। सभी बूढ़ों को मृत्यु दंड दे दो। जैसे ही ये आदेश राज्य के बूढ़ों को मालूम हुआ तो वे रातों रात दूसरे राज्य में चले गए। एक गरीब लड़का अपने पिता से बहुत प्रेम करता था, उसके पास इतना धन भी नहीं था कि वह घर छोड़कर दूसरे राज्य में जा सके। इसीलिए उसने अपने पिता को घर में ही छिपा लिया।* *कुछ ही दिनों के बाद उस राज्य में अकाल पड़ गया। राजा को समझ नहीं आ रहा था कि अब प्रजा के खाने की व्यवस्था कैसे की जाए, उन दिनों भीषण गर्मी भी पड़ रही थी। गरीब लड़के ने अपने बूढ़े पिता से अकाल से निपटने का उपाय पूछा। उसके पिता ने कहा कि राज्य से कुछ ही दूर ही हिमालय स्थित था। गर्मी से हिमालय की बर्फ पिघलने लगेगी और वह पानी उस राज्य की ओर बहता हुआ आएगा। वह पानी यहां आए इससे पहले तु...

एहसान

एहसान  एक बहेलिया था। एक बार जंगल में उसने चिड़िया फंसाने के लिए अपना जाल फैलाया। थोड़ी देर बाद ही एक उकाब उसके जाल में फंस गया। वह उसे घर लाया और उसके पंख काट दिए। अब उकाब उड़ नहीं सकता था, बस उछल उछलकर घर के आस-पास ही घूमता रहता। उस बहेलिए के घर के पास ही एक शिकारी रहता था। उकाब की यह हालत देखकर उससे सहन नहीं हुआ। वह बहेलिए के पास गया और कहा-"मित्र, जहां तक मुझे मालूम है, तुम्हारे पास एक उकाब है, जिसके तुमने पंख काट दिए हैं। उकाब तो शिकारी पक्षी है। छोटे-छोटे जानवर खा कर अपना भरण-पोषण करता है। इसके लिए उसका उड़ना जरूरी है। मगर उसके पंख काटकर तुमने उसे अपंग बना दिया है। फिर भी क्या तुम उसे मुझे बेच दोगे?" बहेलिए के लिए उकाब कोई काम का पक्षी तो था नहीं, अतः उसने उस शिकारी की बात मान ली और कुछ पैसों के बदले उकाब उसे दे दिया। शिकारी उकाब को अपने घर ले आया और उसकी दवा-दारू करने लगा। दो माह में उकाब के नए पंख निकल आए। वे पहले जैसे ही बड़े थे। अब वह उड़ सकता था। जब शिकारी को यह बात समझ में आ गई तो उसने उकाब को खुले आकाश में छोड़ दिया। उकाब ऊंचे आकाश में उड़ गया। शिकारी यह सब देखकर ...

जीवन का पासवर्ड

जीवन का पासवर्ड  वह मेरे आफिस के दिन की एक साधारण शुरुआत थी ,जब मैं अपने आफिस के कंप्यूटर के सामने बैठा था।  "आपके पासवर्ड का समय समाप्त हो गया है," इन निर्देशों के साथ मेरे कंप्यूटर की स्क्रीन पर एक संदेश प्राप्त हुआ। हमें अपनी कंपनी में हर महीने कंप्यूटर का पासवर्ड बदलना पड़ता है। मैं अपने हालिया ब्रेकअप के बाद बहुत उदास था। उसने मेरे साथ जो किया ,उस पर मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था और मैं दिन भर यही सोचता रहता था। मुझे एक युक्ति याद आई, जो मैंने अपने पूर्व बॉस से सुनी थी।  उन्होंने कहा था, "मैं पासवर्ड का उपयोग अपने जीवन की सोच को बदलने के लिए करता हूँ।" मैं अपनी वर्तमान मनस्थिति में काम पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रहा था। पासवर्ड बदलने के विचार ने मुझे याद दिलाया कि मुझे अपने हाल के ब्रेकअप के कारण हुए हालात का शिकार नहीं होना चाहिए और मैंने इसके बारे में कुछ करने का निर्णय लिया। मैंने अपना पासवर्ड बनाया - Forgive@her (उसे@माफ कर दो)। मुझे यह पासवर्ड हर दिन कई बार टाइप करना पड़ता था, जब-जब मेरा कंप्यूटर लॉक हो जाता था। हर बार जब मैं दोपहर के भोजन से वापस आता त...

कर्ज

कर्ज विवाह के दो वर्ष हुए थे जब सुहानी गर्भवती होने पर अपने घर राजस्थान जा रही थी ...पति शहर से बाहर थे ...  जिस रिश्ते के भाई को स्टेशन से ट्रेन मे बिठाने को कहा था वो लेट होती ट्रेन की वजह से रुकने में मूड में नहीं था इसीलिए समान सहित प्लेटफॉर्म पर बनी बेंच पर बिठा कर चला गया .... गाड़ी को पांचवे प्लेटफार्म पर आना था ... गर्भवती सुहानी को सातवाँ माह चल रहा था. सामान अधिक होने से एक कुली से बात कर ली....  बेहद दुबला पतला बुजुर्ग...पेट पालने की विवशता उसकी आँखों में थी ...एक याचना के साथ  सामान उठाने को आतुर ....  सुहानी ने उसे पंद्रह रुपये में तय कर लिया और टेक लगा कर बैठ गई.... तकरीबन डेढ़ घंटे बाद गाडी आने की घोषणा हुई ...लेकिन वो बुजुर्ग कुली कहीं नहीं दिखा ... कोई दूसरा कुली भी खाली नज़र नही आ रहा था.....ट्रेन छूटने पर वापस घर जाना भी संभव नही था ... रात के साढ़े बारह बज चुके थे ..सुहानी का मन घबराने लगा ... तभी वो बुजुर्ग दूर से भाग कर आता हुआ दिखाई दिया .... बोला चिंता न करो बिटिया हम चढ़ा देंगे गाडी में ...भागने से उसकी साँस फूल रही थी ..उसने लपक कर सामान उठाया .....

अजनबी हमसफ़र

अजनबी हमसफ़र वो ट्रेन के रिजर्वेशन के डब्बे में बाथरूम के तरफ वाली एक्स्ट्रा सीट पर बैठी थी,…… उसके चेहरे से पता चल रहा था कि थोड़ी सी घबराहट है उसके दिल में कि कहीं टीसी ने आकर पकड़ लिया तो। कुछ देर तक तो पीछे पलट-पलट कर टीसी के आने का इंतज़ार करती रही। शायद सोच रही थी कि थोड़े बहुत पैसे देकर कुछ निपटारा कर लेगी। देखकर यही लग रहा था कि जनरल डब्बे में चढ़ नहीं पाई इसलिए इसमें आकर बैठ गयी, शायद ज्यादा लम्बा सफ़र भी नहीं करना होगा। सामान के नाम पर उसकी गोद में रखा एक छोटा सा बेग दिख रहा था। मैं बहुत देर तक कोशिश करता रहा पीछे से उसे देखने की कि शायद चेहरा सही से दिख पाए लेकिन हर बार असफल ही रहा। फिर थोड़ी देर बाद वो भी खिड़की पर हाथ टिकाकर सो गयी। और मैं भी वापस से अपनी किताब पढ़ने में लग गया। लगभग 1 घंटे के बाद टीसी आया और उसे हिलाकर उठाया। “कहाँ जाना है बेटा” “अंकल अहमदनगर तक जाना है” “टिकेट है ?” “नहीं अंकल …. जनरल का है …. लेकिन वहां चढ़ नहीं पाई इसलिए इसमें बैठ गयी” “अच्छा 300 रुपये का पेनाल्टी बनेगा” “ओह … अंकल मेरे पास तो लेकिन 100 रुपये ही हैं” “ये तो गलत बात है बेटा …. पेनाल्टी ...

बुराई का अंत

बुराई का अंत एक सांप को एक बाज़ आसमान पे ले कर उड राहा था.. अचानक पंजे से सांप छूट गया और कुवें मे गिर गया बाज़ ने बहुत कोशिश की अखिर थक हार कर चला गया.. सांप ने देखा कुवें मे बड़े किंग साईज़ के बड़े बड़े मेढक मौजूद थे.. पहले तो डरा फिर एक सूखे चबूतरे पर जा बैठा और मेढकों के प्रधान को लगा खोजने.. अखिर उसने एक मेढक को बुलाया और कहा मैं सांप हूँ मेरा ज़हर तुम सब को पानी मे मार देगा.. ऐसा करो रोज़ एक मेढक तुम मेरे पास भेजा करो, वह मेरी सेवा करेगा और तुम सब बहुत आराम से रह सकते हो.. पर याद रखना एक मेढक रोज़ रोज़ आना चाहिए.. एक एक कर के सारे मेढक सांप खा गया.. जब अकेले प्रधान मेढक बचा तब सांप चबूतरे से उतर कर पानी मे आया और बोला प्रधान जी आज आप की बारी है प्रधान मेढक ने कहा मेरे साथ विश्वास घात ? सांप बोला जो अपनो के साथ विश्वास घात करता है उसका यही अंजाम होता है। फिर उसने प्रधान जी को गटक लिया। कुछ देर के बाद साँप आहिस्ता आहिस्ता कुवें के ऊपर आ कर चबूतरे पर लेट गया.. तभी एक बाज़ ने आ कर साँप को दबोच लिया.. पहचान साँप मुझे मैं वही बाज़ हूँ जिसके बच्चे तूने पिछले साल खा लिये थे.. और जब तुझे प...

असली गहना

असली गहना एक राजा थे।उनका नाम था चक्ववेण।वह बड़े ही धर्मात्मा थे। राजा जनता से जो भी कर लेते थे सब जनहित में ही खर्च करते थे उस धन से अपना कोई कार्य नहीं करते थे।अपने जीविकोपार्जन हेतु राजा और रानी दोनोँ खेती किया करते थे। उसी से जो पैदावार हो जाता उसी से अपनी गृहस्थी चलाते,अपना जीवन निर्वाह करते थे। राजा-रानी होकर भी साधारण से वस्त्र और साधारण सात्विक भोजन करते थे।               एक दिन नगर में कोई उत्सव था तो राज्य की तमाम महिलाएं बहुत अच्छे-अच्छे वस्त्र और बेशकीमती गहने धारण किये हुए आई और जब रानी को साधारण वस्त्रों में देखा तो कहने लगी कि आप तो हमारी मालकिन हो और इतने साधरण वस्त्रों में बिना गहनों के जबकि आपको तो हम लोगों से अच्छे वस्त्रों और गहनों में होना चाहिए। यह बात रानी के कोमल हृदय को छू गई और रात में जब राजा रनिवास में आये तो रानी ने सारी बात बताते हुए कहा कि आज तो हमारी बहुत फजीहत बेइज्जती हुई। सारी बात सुनने के बाद राजा ने कहा क्या करूँ मैं खेती करता हूँ जितना कमाई होती है घर गृहस्थी में ही खर्च हो जाता है।क्या करूँ? प्रजा से आया धन मै...

एक एहसास

एक एहसास एक प्रेमी-युगल शादी से पहले काफी हँसी-मजाक और नोक-झोंक किया करते थे। शादी के बाद उनमें छोटी छोटी बातो पे झगड़े होने लगे। एक दिन उनकी शादी कि सालगिरह थी पर बीबी ने कुछ नहीं बोला वो पति का रेस्पॉन्स देखना चाहती थी। सुबह पति जल्दी उठा और घर से बाहर निकल गया। पत्नी रूआंसी हो गई। दो घण्टे बाद डोरबेल बजी वो दौड़ती हुई गई जाकर दरवाजा खोला। दरवाजे पर गिफ्ट और केक के साथ उसका पति था। पति ने गले लगा के सालगिरह विश किया फिर पति अपने कमरे मेँ चला गया। तभी अचानक पत्नी के पास पुलिस थाने से फोन आता है की आपके पति की हत्या हो चूकी है उनके जेब में पड़े पर्स से आपका फोन नम्बर ढ़ुंढ़ के कॉल किया गया है। पत्नी सोचने लगी की पति तो अभी घर के अन्दर आये है फिर उसे कही पे सुनी एक बात याद आ गई की मरे हुये इन्सान की आत्मा अपनी अंतिम विश पूरी करने एक बार जरूर आती है। वो जोर-जोर से रोने लगी। उसे अपना वो सारा चूमना लड़ना झगड़नानोक-झोंक याद आने लगा उसे पश्चाताप होने लगा की अन्त समय में भी वो अपने पति को प्यार ना दे सकी वो बिलखती हुई रोने लगी। जब रूम में गई तो देखा उसका पति वहाँ नहीं था। वो चिल्ला चिल्ला के रोती हु...

संगति

संगति एक था राजा। उसने एक तोता पाला था।  एक दिन तोता मर गया।  राजाने मंत्री को कहा: मंत्रीप्रवर! हमारा तोते का पिंजरा सूना हो गया है। इसमें पालने के लिए एक तोता लाओ।  अब, तोते सदैव तो मिलते नहीं।  लेकिन राजा पीछे पड़ गये तो मंत्री एक संत के पास गये और कहा: भगवन्! राजा साहब एक तोता लाने की जिद कर रहे हैं। आप अपना तोता दे दें तो बड़ी कृपा होगी।  संत ने कहा: ठीक है, ले जाओ।  राजा ने सोने के पिंजरे में बड़े स्नेह से तोते की सुख-सुविधा का प्रबन्ध किया। ब्रह्ममुहूर्त होते ही तोता बोलने लगता: ओम् तत्सत्....ओम् तत्सत् ... उठो राजा! उठो महारानी! दुर्लभ मानव-तन मिला है। यह सोने के लिए नहीं, भजन करने के लिए मिला है।  'चित्रकूट के घाट पर , भई संतन की भीर। तुलसीदास चंदन घिसै,  तिलक देत रघुबीर।।' कभी रामायण की चौपाई तो कभी गीता के श्लोक तोते के मुँह से निकलते।  पूरा राजपरिवार बड़े सवेरे उठकर उसकी बातें सुना करता था।  राजा कहते थे कि सुग्गा क्या मिला, एक संत मिल गये। हर जीव की एक निश्चित आयु होती है।  एक दिन वह सुग्गा मर गया। राजा, रानी, राजपरिवार और ...

भाग्यशाली बेटी

भाग्यशाली बेटी एक ऐसी कहानी, जो आपको भावुक कर देगी😢 एक अट्ठाइस साल की बदसूरत और काली लड़की थी, उसके दाँत भी निकले थे, पर उसे अपने रंग और बदसूरती का जरा भी अफ़सोस नही था | हमेशा खुश रहती और एक नंबर की पेटू और पढ़ने लिखने में महाभोंदू भी थी |  एक खूबी उसमें यह भी थी की जहाँ रहती, हो-हो-हो कर हस्ती मुस्कुराते रहती और सबको भी हँसाते रहती | उस नेक दिल लड़की का एक शौक भी था | खाना बनाने का, वह खूब मन से खाना बनाती और बड़े चाव से मसाला पिसती | खाना बनाने की किताबे खूब ध्यान लगा कर पढ़ती | टीवी रेडियो पे भी पाक कला के प्रोग्राम को बड़े मनोयोग से देखती सुनती | जब भी उसे कोई खाना बनाना होता तो वह बड़े प्रेम से बनाती | आटा गूँथती, बड़े प्यार से गीत गुनगुनाते हुए कम आँच पे पूड़ियाँ तलती | सब्जी चटनी खीर हो या मटर पनीर सब कुछ लाजबाब बनाती | जो भी उसके खाने को टेस्ट करता बिना तारीफ किये ना रहता | उसने पाक कला में अद्भुत और असाधारण प्रतिभा हासिल कर ली थी | पर वह मनहूस थी उसके काले रंग और बदसूरत होने से कोई उसे प्यार न करता था पर माँ उसे बहुत प्यार करती थी | आज तक माँ ने उसे डाँटा तक नही था और वह भी माँ से...

महाभारत एक पूर्ण न्यायशास्त्र है, और चीर हरण उसका केन्द्रबिन्दु

महाभारत एक पूर्ण न्यायशास्त्र है, और चीर हरण उसका केन्द्रबिन्दु इस प्रसङ्ग के बाद की पूरी कथा इस घिनौने अपराध के अपराधियों को मिले दण्ड की कथा है। वह दण्ड, जिसे निर्धारित किया भगवान श्रीकृष्ण ने और किसी को नहीं छोड़ा... किसी को भी नहीं। दुर्योधन ने उस अबला स्त्री को दिखा कर अपनी जंघा ठोकी थी, तो उसकी जंघा तोड़ी गयी। दुशासन ने छाती ठोकी तो उसकी छाती फाड़ दी गयी। महारथी कर्ण ने एक असहाय स्त्री के अपमान का समर्थन किया, तो श्रीकृष्ण ने असहाय दशा में ही उसका वध कराया। भीष्म ने यदि प्रतिज्ञा में बंध कर एक स्त्री के अपमान को देखने और सहन करने का पाप किया, तो असँख्य तीरों में बिंध कर अपने पूरे कुल को एक-एक कर मरते हुए भी देखे... भारत का कोई बुजुर्ग अपने सामने अपने बच्चों को मरते देखना नहीं चाहता, पर भीष्म अपने सामने चार पीढ़ियों को मरते देखते रहे। जबतक सब देख नहीं लिया, तबतक मर भी न सके... यही उनका दण्ड था।   धृतराष्ट्र का दोष था पुत्रमोह, तो सौ पुत्रों के शव को कंधा देने का दण्ड मिला उन्हें। सौ हाथियों के बराबर बल वाला धृतराष्ट्र सिवाय रोने के और कुछ नहीं कर सका। दण्ड केवल कौरव दल को ही ...

हमेशा अच्छा करो

हमेशा अच्छा करो एक औरत अपने परिवार के सदस्यों के लिए रोज़ाना भोजन पकाती थी और एक रोटी वह वहाँ से गुजरने वाले किसी भी भूखे के लिए पकाती थी। वह उस रोटी को खिड़की के सहारे रख दिया करती थी, जिसे कोई भी ले सकता था। एक कुबड़ा व्यक्ति रोज़ उस रोटी को ले जाता और बजाय धन्यवाद देने के अपने रास्ते पर चलता हुआ वह कुछ इस तरह बड़बड़ाता- "जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा।" दिन गुजरते गए और ये सिलसिला चलता रहा। वो कुबड़ा रोज रोटी लेके जाता रहा और इन्ही शब्दों को बड़बड़ाता- "जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा।" वह औरत उसकी इस हरकत से तंग आ गयी और मन ही मन खुद से कहने लगी कि "कितना अजीब व्यक्ति है, एक शब्द धन्यवाद का तो देता नहीं है, और न जाने क्या-क्या बड़बड़ाता रहता है, मतलब क्या है इसका।" एक दिन क्रोधित होकर उसने एक निर्णय लिया और बोली- "मैं इस कुबड़े से निजात पाकर रहूंगी।" और उसने क्या किया कि उसने उस रोटी में ज़हर मिला दिया जो वो रोज़ उसके लिए बनाती थी, और जैसे ही ...

अनुपयोगी मित्र

अनुपयोगी मित्र  किसी जंगल में एक बन्नी नामक खरगोश रहता था। उसके कई दोस्त थे। उसे अपने दोस्तों पर गर्व था। एक दिन बन्नी खरगोश ने जंगली कुत्तों के भौंकने की आवाज सुनी। वह बहुत डरा हुआ था। उसने मदद मांगने का फैसला किया। वह जल्दी से अपने मित्र हिरण के पास गया। उसने कहा, "प्रिय मित्र, कुछ जंगली कुत्ते मेरा पीछा कर रहे हैं। क्या तुम अपने नुकीले सींगों से उनका पीछा कर सकते हो?" हिरण ने कहा, "यह सही है, मैं कर सकता हूँ। लेकिन अब मैं व्यस्त हूँ। आप भालू से मदद क्यों नहीं माँगते?" बन्नी खरगोश भालू के पास दौड़ा। "मेरे प्यारे दोस्त, आप बहुत मजबूत हैं। कृपया मेरी मदद करें। कुछ जंगली कुत्ते मेरे पीछे हैं। कृपया उन्हें दूर भगाएं", उसने भालू से अनुरोध किया। भालू ने उत्तर दिया, "मुझे क्षमा करें। मैं भूखा और थका हुआ हूं। मुझे कुछ भोजन खोजने की जरूरत है। कृपया बंदर से मदद मांगें।" बेचारा बन्नी बंदर, हाथी, बकरी और उसके सभी दोस्तों के पास गया। बन्नी को इस बात का दुख हुआ कि कोई उसकी मदद के लिए तैयार नहीं था। वह समझ गया था कि उसे खुद ही कोई रास्ता निकालना होगा। वह एक झ...

अवैध रिश्ते

 अवैध रिश्ते*   ■वह मूर्ख लड़की उस लड़के के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहती थी। जानते हैं क्यों? क्योंकि उसने देखा, सुना होगा कि देश के सारे पढ़े लिखे बुद्धिजीवी, अभिनेता, साहित्यकार आदि लिव इन को ही जीवन जीने का आधुनिक और बढ़िया तरीका बताते हैं।     ■लड़की की मां इस अवैध रिश्ते का विरोध करती थी, क्योंकि लड़का दूसरे सम्प्रदाय का था। पर लड़की को माँ की बातें फालतू और दकियानूसी लगती थीं। क्यों? क्योंकि देश के पढ़े लिखे लोग कहते तो हैं- जाति/धर्म तो बकवास बातें हैं। विवाह के लिए जाति धर्म नहीं, दिल मिलना जरूरी होता है। उसका दिल मिल गया था, सो वह उसी के साथ रहने लगी थी।      ■पिछले दिनों लड़की की मां ने पुलिस केस किया था। पुलिस ने जब लड़के को पकड़ा, तो लड़की उसके बचाव में खड़ी हो गयी। बताने लगी कि उसकी माँ ही अत्याचारी है, वही उसे मारती-पीटती रहती है। इसी कारण वह माँ को छोड़ कर अपने बाबू-सोना के साथ रहती है। पुलिस क्या करती? छोड़ना पड़ा।      ■हाँ तो अब बात यह है कि एक दिन लड़के का मन भर गया। नकली समान चार दिन नहीं टिकता, तो नकली प्यार कितना टिकेगा? मन भर गया ...

एक कहानी मिली है,इस कहानी को पढ़ कर सोचिये और समझिये !

   एक कहानी मिली है,इस कहानी को पढ़ कर सोचिये और समझिये !!!     किसी गाँव में चार मित्र रहते थे। चारों में इतनी घनी मित्रता थी कि हर समय साथ रहते उठते बैठते, योजनाएँ बनाते। एक ब्राह्मण  एक ठाकुर  एक बनिया और  एक नाई था    पर कभी भी चारों में जाति का भाव न था गज़ब की एकता थी।    एक दिन इन चारों ने विधर्मी स्वभाव के किसान के खेत से चने के झाड़ उखाड़े और खेत में ही बैठकर हरी हरी फलियों का स्वाद लेने लगे।   खेत का मालिक आया  चारों की दावत देखी उसे बहुत क्रोध आया उसका मन किया कि लट्ठ उठाकर चारों को पीटे  पर चार के आगे एक? वो स्वयं पिट जाता  सो उसने एक युक्ति सोची।   चारों के पास गया, ब्राह्मण के पाँव छुए, ठाकुर साहब की जयकार की  बनिया महाजन से राम जुहार और फिर  नाई से बोला-- देख भाई  ब्राह्मण देवता धरती के देव हैं, ठाकुर साहब तो सबके मालिक हैं अन्नदाता हैं, महाजन सबको उधारी दिया करते हैं  ये तीनों तो श्रेष्ठ हैं  तो भाई इन तीनों ने चने उखाड़े सो उखाड़े पर तू? तू तो ठहरा नाई तूने चने क्यों...